नागों में दिव्य शक्तियां होने की बात हमेशा से कही जाती है लेकिन विज्ञान इसे गलत बताता है। फिर भी सर्पों से संबंधित ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जो विज्ञान को झुठला देती हैं। आज हम आपको ले चलेंगे प्राचीन भारत की उस परंपरा की ओर जिसका अब भी भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बोलबाला है। ओझा-गुनी का नाम गांव से ताल्लुक रखने वाले किस भारतीय ने न सुना होगा। क्या करते हैं ये ओझा-गुनी, कैसे होता है इनके झाड़-फूंक का असर, क्या ये बस भ्रमजाल है या कुछ व्यवहारिक भी है। हम इसके बारे में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे पर आप कोई राय बनाने से पहले इसे पढ़े जरूर। सोच की दिशा शायद बदल जाए।

नाग जाति के सर्पों में दिव्य शक्ति की एक ऐसी ही  घटना मध्य प्रदेश के रीवां जिले की है। जिसे लेखक ने खुद अपनी आंखों से देखा है। पाठकों की रुचि बढ़ाने के लिए पूरे घटनाक्रम का नाटकीय  वर्णन किया गया है।

रीवां के दूरदराज के एक गांव में  सुबह होने में अभी कुछ समय शेष है, कुछ लोग उठ चुके थे, और दैनिक कार्यों की शुरुआत  में लगे हुए थे।

तभी अचानक गाँव के कोने से स्त्रियों पुरूषों और बच्चों का शोर सुनाई देने लगा, यह शोर  पूरे गाँव में फैलता जा रहा था। आवाज़ें बहुत तीखी और हृदयविदारक थी, सभी लोग एक ही तरफ भागे जा रहे थे।

जिससे पूछो बस एक ही बात कह रहा था, कि फूलन सिंह को सर्प ने काट लिया है, अब इससे अधिक पूछना बेमानी था, सारे गाँव में अफरा तफरी मच गयी, फूलन सिंह की , गुंडागर्दी के कारण गाँव में अच्छी चलती थी, लोग उसके बारे में कुछ कहने से भी घबराते थे। हर किसी को उस से पिटने का डर रहता, तो किसी को गालियों की बौछार खाने का। ।[irp posts=”6449″ name=”कर्मों का फल”]

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