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उन्होंने ध्यान लगाया और अपनी अंतर्दृष्टि से पता करके बताया- पड़ोस के गांव में सोना नाम की एक धोबन अपने बेटे और बहू के साथ रहती है. सोना बहुत ही आचार- विचार और संस्कार संपन्न पति परायण स्त्री है.

यदि यह कन्या अपनी सेवा से सोना को प्रसन्न कर ले और सोना धोबिन इसके विवाह में आए और अपनी मांग का सिन्दूर इसे लगा दे तो उसके बाद इस कन्या का विवाह करो तो इसका वैधव्य दोष मिट सकता है.

साधू ने यह भी बताया कि सोना कहीं आती जाती नहीं है. उसे प्रसन्न करने का तुम्हें बहुत प्रयास करना होगा. ब्राह्मणी ने जब सुना कि धोबिन की सेवा से वेटी का वैध्वय दोष मिट जाएगा तो उसे तुरंत अपने पुत्र के साथ सोना की खोज में भेज दिया.

भाई बहन खोजते-खोजते सोना के घर पहुंचे. वहां कन्या तडके ही उठकर सोना धोबिन के घर जाकर सफाई और अन्य सारे काम करके अपने घर वापस आ जाती.

सोना धोबिन ने अपनी बहु की प्रशंसा करते हुए कहा- आजकल तुम तडके ही उठकर सारे काम कर लेती है और पता भी नहीं चलता. बहू आश्चर्य में थी.

बहू ने कहा- मांजी मैंने तो सोचा कि आप ही सुबह उठकर सारे काम ख़ुद ही ख़त्म कर लेती हैं. मैं तो देर से उठती हूं. दोनों सास-बहू उलझन में थीं कि आखिर कौन रोज इनके घर का सारा काम निपटा जाता है.

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