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अज्ञातवास झेल रहे पांडव एक दिन चंडिका देवी के दर्शन को चंडिका स्थान पहुंचे. बहुत थके होने के कारण वे थोड़ा विश्राम करने लगे. भीमसेन को बहुत जोर की प्यास लगी थी.

उन्हें चंडी देवी का कुंड नजर आया. युधिष्ठिर ने भीम को सावधान किया कि अगर हाथ-पैर धोने हों तो कुंड से पानी निकालकर बाहर धोना अन्यथा जल दूषित करने का दोष लगेगा.

भीम प्यास से व्याकुल थे. कुंड देखकर उन्हें युधिष्ठिर की चेतावनी याद नहीं रही. कुंड में प्रवेश किया और हाथ-मुंह धोने लगे. देवी चंडिका के सेवक बर्बरीक ने उन्हें ऐसा करते देख जोरदार आवाज में टोका.

बर्बरीक ने कहा- तुम देवी के कुंड में हाथ-पैर धो रहे हो. इसी जल से मैं देवी को स्नान कराता हूं. क्या जल प्रयोग की गरिमा तुम्हें नहीं सिखाई गई? तत्काल कुंड से बाहर आओ.

भीमसेन बर्बरीक के दादा थे लेकिन दोनों का पहले कभी मेल हुआ नहीं था इसलिए दोनों एक दूसरे को पहचान नहीं पाए.

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