गणेशजी के विभिन्न अवतार

गणेशजी की विभिन्न सूंड वाली आकृतियों का पूजन किया जाता है. विद्वान गणेशजी के सूंड की दिशा को विशेष प्रभाव वाला मानकर अध्ययन करते हैं. जानेंगे कि गणेशजी के सूंड की विभिन्न दिशाओं और गणपति की विभिन्न छवि का रहस्य.

इस पोस्ट में जानेंगे आपके लिए गणेश जी की कौन छवि या प्रतिमा है सबसे उत्तम. वैसे गणेशजी की हर छवि, हर प्रतिमा मंगलकारी है. फिर भी कुछ विशेष प्रयोजनों के लिए विशेष बताया गया है.

गणेशजी के विभिन्न अवतार

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गणेशजी की प्रतिमा या छवि जो आपने देखी होगी उसमें गणेशजी की सूंड तीन विभिन्न प्रकार की मिलेगी. बाईं ओर घुमी सूंड, दायीं ओर घुमी हुई सूंड या सीधी सूंड वाली प्रतिमा. तीन सूंड़ों वाले महागणपति के स्वरूप के बारे में शास्त्रों में कई बातें कही गई हैं.

दक्षिणमुखी गणेश कहे जाते हैं सिद्धिविनायकः मंदिरों में पूजन के लिए उपयुक्त

गणेशजी की जिस मूर्ति में सूंड का अग्रभाग दाई ओर मुड़ा हो तो अर्थात भगवान के दायीं भुजा की ओर हो उसे दक्षिणमुखी अथवा दक्षिणाभिमुखी विग्रह कहते हैं. दाईं बाजू सूर्य नाड़ी को दर्शाती है. जिसकी सूर्यनाड़ी अधिक कार्यरत होती है वह शक्तिशाली होने के साथ-साथ तेजस्वी भी होता है. इसी तथ्य को आधार मानकर दाईं ओर सूंड वाले गणपति को जागृत तथा अत्यंत तेजस्वी माना जाता है.

दायीं तरफ सूंड वाले महागणपति को सिद्धि विनायक कहा जाता है. सिद्धि विनायक का पूजन सूती वस्त्र में नहीं बल्कि रेशमी वस्त्र धारण करके किया जाता है. विद्वतजन कहते हैं कि दक्षिणाभिमुखी गणपति मूर्ति की पूजा में कर्मकांड के विशेष नियमों को ध्यान में रखकर ही की जाना चाहिए.

दक्षिणमुखी गणेशजी के पूजन के विधि-विधान का संपूर्ण पालन घरों में नहीं हो पाता इसलिए भगवान गणेशजी की ऐसी मूर्ति केवल मंदिरों में रखने के लिए ही प्रशस्त मानी गई है. गणेशजी में सभी देवी-देवताओं के तत्व विद्यमान हैं इसलिए मंदिर में की गई पूजा में सभी देवी-देवताओं की विधि-विधान से पूजा होती है. अतः दक्षिणमुखी गणेशजी को मंदिर में विराजमान करना अत्यंत शुभकारी है.

वाममुखी महागणपति कहलाते हैं वक्रतुंडः घरों में पूजने योग्य

गणेशजी के जिस विग्रह  में सूंड का अग्रभाग बाईं ओर मुड़ा हो, भगवान की बाईं भुजा को स्पर्श करता हो उसे वाममुखी कहते हैं. इस विग्रह को वक्रतुंड भी कहा जाता है. वामभाग उत्तर दिशा पर प्रभाव रखता है और चंद्रनाड़ी का होता है जो शीतलता की प्रतीक है. पूर्व दिशा के अतिरिक्त उतर दिशा भी पूजा-अर्चना के लिए अत्यंत शुभ मानी गई है. इसलिए घरों में अधिकतर वाममुखी गणपति की ही पूजा-अर्चना की बात विद्वानजन कहते हैं. वाममुखी गणेशजी की आराधना गृहस्थों के लिए विशेष शुभ माना जाता है.

वक्रतुंड विग्रह की पूजा में भी बहुत विशेष नियमों व विधि-विधानों का पालन करने का बंधन नहीं होता इसलिए घरों में इनकी स्थापना की जाती है. वक्रतुंड सरल पूजन से ही शीघ्र प्रसन्न और संतुष्ट हो जाते हैं. इस स्वरुप में गणेशजी शीघ्र क्रोधित नहीं होते तथा त्रुटियां होने पर क्षमा प्रदान करते हैं.

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सीधी सूंड वाले गणेशजीः

गणेशजी की सीधी सूंड वाली मूर्ति को सुष्मना नाड़ी पर प्रभाव रखने वाला माना जाता है. इनकी पूजा रिद्धि-सिद्धि, कुण्डलिनी जागरण, मोक्ष, समाधि आदि के लिए सर्वोत्तम मानी गई है. साधु-सन्यासी व सिद्ध पुरुष मोक्ष प्राप्ति हेतु गणेशजी के इसी विग्रह स्वरुप का ध्यान करते हैं.

गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर जब घर लाएं तो यह ध्यान रखें कि गणेशजी सायुज और सवाहन हों. सायुज होने का अर्थ है कि वह अपने समस्त प्रिय आयुधों से युक्त हों. गणेशजी के हाथों में उनका एकदंत, अंकुश और साथ में मोदक होना चाहिए.
सवाहन का अर्थ है कि गणेशजी की प्रतिमा के साथ उनका वाहन मूषक भी हो. जिस प्रतिमा में गणेशजी सायुज और सवाहन होने के साथ-साथ एक हाथ वरदान की मुद्रा में रखते हों वही सबसे उत्तम विग्रह या छवि मानी जाती है.
संतान सुख के लिए रखें बालगणेश की प्रतिमा या छविः
जो लोग संतान सुख की कामना रखते हैं उन्हें अपने घर में बाल गणेश की प्रतिमा या तस्वीर रखकर पूजा करनी चाहिए. नियमित बालगणेश पूजन से संतान प्राप्ति में आने वाली विघ्न बाधाएं दूर होती हैं और बुद्धिमान, स्वस्थ तथा पराक्रमी संतान प्राप्त होती है.
बुद्धि-विवेक के लिए नाचते हुए गणेशजीः
घर में आनंद उत्साह और उन्नति के लिए भगवान महागणेश की वह प्रतिमा या छवि रखनी चाहिए जिसमें वह नृत्यमुद्रा में हों. इस प्रतिमा की पूजा से छात्रों को बुद्धि प्राप्ति होती है. अध्य्यन में आने वाले विघ्न आनंद के साथ पार हो जाते हैं. कला जगत से जुड़े लोगों को भी इसी स्वरूप का ध्यान करने से विशेष लाभ मिलता है. इससे घर में धन और आनंद की भी वृद्घि होती है.

सुख और आनंद के लिए लेटे हुए गणेशजीः

गणेश जी आसान पर विराजमान हों या लेटे हुए मुद्रा में हों तो ऐसी प्रतिमा को घर में लाना शुभ होता है. इससे घर में सुख और आनंद का स्थायित्व बना रहता है.

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सिंदूरी लाल रंग वाले गणेशजी हैं विघ्नहर्ता
गणेशजी का रंग लाल है. इसकी कथा पहले भी सुनाई है. प्रभु शरणम् ऐप्प में पुनः सुनाएंगे. भगवान का लालरक्त वाला स्वरूप विघ्नबाधाओं का हरण करने वाला, तेजस्वी और अपनी छाप छोड़ने वाला माना गया है. सिंदूरी रंग वाले गणेशजी की पूजा सामाजिक-आर्थिक प्रभुता बढ़ती है. इसे समृद्घिदायक माना गया है. कारोबार में इसे विशेष लाभदायक माना गया है.

वास्तु के अनुसार घर के मुख्य द्वार पर भी गणेशजी की मूर्ति या तस्वीर लगाना शुभ होता है. बाईं ओर सूंड वाले गणेशजी की छवि स्थापित करनी चाहिए. इससे विघ्नों का नाश होता है.घर में प्रवेश करने से पहले जब हम विघ्वविनाशक गणेशजी के दर्शन करते हैं तो इसके प्रभाव से यह सभी नेगेटिव एनर्जी वहीं रुक जाती है व हमारे साथ घर में प्रवेश नहीं कर पाती.

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नारायण की तरह महादेव, सूर्य, जगदंबा और गणपति के अनेक अवतार हैं. विशेष कारणों से हुए हैं हर अवतार और विशेष मनोरथ की पूर्ति के लिए पूजे जाते हैं. यदि लालसा है भगवान के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने की तो आपको तत्काल प्रभु शरणम् ऐप्प से जुड़ जाना चाहिए. फ्री ऐप्प है. पसंद न आए तो डिलिट कर दीजिएगा, कौन से पैसे खर्च हो रहे हैं आपके? धर्म के प्रचार के लिए सेवाभाव से बनाया गया है इसे. लिंक दे रहा हूं. इसे क्लिक करके या प्लेस्टोर से प्रभु शरणम् सर्च करके डाउनलोड कर लीजिए.

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धार्मिक अभियान प्रभु शरणम् के बारे में दो शब्दः 

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