गणेशजी की विभिन्न सूंड वाली आकृतियों का पूजन किया जाता है. विद्वान गणेशजी के सूंड की दिशा को विशेष प्रभाव वाला मानकर अध्ययन करते हैं. जानेंगे कि गणेशजी के सूंड की विभिन्न दिशाओं और गणपति की विभिन्न छवि का रहस्य.
इस पोस्ट में जानेंगे आपके लिए गणेश जी की कौन छवि या प्रतिमा है सबसे उत्तम. वैसे गणेशजी की हर छवि, हर प्रतिमा मंगलकारी है. फिर भी कुछ विशेष प्रयोजनों के लिए विशेष बताया गया है.
धार्मिक व प्रेरक कथाओं के लिए प्रभु शरणम् के फेसबुक पेज से जु़ड़े, लिंक-
[sc:fb]
प्रभु शरणं के पोस्ट सरलता से पढ़ने के लिए प्लेस्टोर से PRABHU SHARNAM App डाउनलो़ड कर लें. यह आपकी दैनिक पूजा से लेकर हर तरह के धार्मिक कार्य में सहयोगी साबित होगा. फ्री ऐप है. एक बार देखिए तो सही. आप कह उठेंगे कि इसी की जरूरत थी.
गणेशजी की प्रतिमा या छवि जो आपने देखी होगी उसमें गणेशजी की सूंड तीन विभिन्न प्रकार की मिलेगी. बाईं ओर घुमी सूंड, दायीं ओर घुमी हुई सूंड या सीधी सूंड वाली प्रतिमा. तीन सूंड़ों वाले महागणपति के स्वरूप के बारे में शास्त्रों में कई बातें कही गई हैं.
दक्षिणमुखी गणेश कहे जाते हैं सिद्धिविनायकः मंदिरों में पूजन के लिए उपयुक्त
गणेशजी की जिस मूर्ति में सूंड का अग्रभाग दाई ओर मुड़ा हो तो अर्थात भगवान के दायीं भुजा की ओर हो उसे दक्षिणमुखी अथवा दक्षिणाभिमुखी विग्रह कहते हैं. दाईं बाजू सूर्य नाड़ी को दर्शाती है. जिसकी सूर्यनाड़ी अधिक कार्यरत होती है वह शक्तिशाली होने के साथ-साथ तेजस्वी भी होता है. इसी तथ्य को आधार मानकर दाईं ओर सूंड वाले गणपति को जागृत तथा अत्यंत तेजस्वी माना जाता है.
दायीं तरफ सूंड वाले महागणपति को सिद्धि विनायक कहा जाता है. सिद्धि विनायक का पूजन सूती वस्त्र में नहीं बल्कि रेशमी वस्त्र धारण करके किया जाता है. विद्वतजन कहते हैं कि दक्षिणाभिमुखी गणपति मूर्ति की पूजा में कर्मकांड के विशेष नियमों को ध्यान में रखकर ही की जाना चाहिए.
दक्षिणमुखी गणेशजी के पूजन के विधि-विधान का संपूर्ण पालन घरों में नहीं हो पाता इसलिए भगवान गणेशजी की ऐसी मूर्ति केवल मंदिरों में रखने के लिए ही प्रशस्त मानी गई है. गणेशजी में सभी देवी-देवताओं के तत्व विद्यमान हैं इसलिए मंदिर में की गई पूजा में सभी देवी-देवताओं की विधि-विधान से पूजा होती है. अतः दक्षिणमुखी गणेशजी को मंदिर में विराजमान करना अत्यंत शुभकारी है.
वाममुखी महागणपति कहलाते हैं वक्रतुंडः घरों में पूजने योग्य
गणेशजी के जिस विग्रह में सूंड का अग्रभाग बाईं ओर मुड़ा हो, भगवान की बाईं भुजा को स्पर्श करता हो उसे वाममुखी कहते हैं. इस विग्रह को वक्रतुंड भी कहा जाता है. वामभाग उत्तर दिशा पर प्रभाव रखता है और चंद्रनाड़ी का होता है जो शीतलता की प्रतीक है. पूर्व दिशा के अतिरिक्त उतर दिशा भी पूजा-अर्चना के लिए अत्यंत शुभ मानी गई है. इसलिए घरों में अधिकतर वाममुखी गणपति की ही पूजा-अर्चना की बात विद्वानजन कहते हैं. वाममुखी गणेशजी की आराधना गृहस्थों के लिए विशेष शुभ माना जाता है.
वक्रतुंड विग्रह की पूजा में भी बहुत विशेष नियमों व विधि-विधानों का पालन करने का बंधन नहीं होता इसलिए घरों में इनकी स्थापना की जाती है. वक्रतुंड सरल पूजन से ही शीघ्र प्रसन्न और संतुष्ट हो जाते हैं. इस स्वरुप में गणेशजी शीघ्र क्रोधित नहीं होते तथा त्रुटियां होने पर क्षमा प्रदान करते हैं.
[irp posts=”7410″ name=”ब्रह्मचारी गणेशजी के दो ब्याह कैसे हुए”]
सीधी सूंड वाले गणेशजीः
गणेशजी की सीधी सूंड वाली मूर्ति को सुष्मना नाड़ी पर प्रभाव रखने वाला माना जाता है. इनकी पूजा रिद्धि-सिद्धि, कुण्डलिनी जागरण, मोक्ष, समाधि आदि के लिए सर्वोत्तम मानी गई है. साधु-सन्यासी व सिद्ध पुरुष मोक्ष प्राप्ति हेतु गणेशजी के इसी विग्रह स्वरुप का ध्यान करते हैं.
सुख और आनंद के लिए लेटे हुए गणेशजीः
गणेश जी आसान पर विराजमान हों या लेटे हुए मुद्रा में हों तो ऐसी प्रतिमा को घर में लाना शुभ होता है. इससे घर में सुख और आनंद का स्थायित्व बना रहता है.
[irp posts=”7386″ name=”गृहस्थ करें महागणपति के व्रकतुंड स्वरूप का पूजन”]
वास्तु के अनुसार घर के मुख्य द्वार पर भी गणेशजी की मूर्ति या तस्वीर लगाना शुभ होता है. बाईं ओर सूंड वाले गणेशजी की छवि स्थापित करनी चाहिए. इससे विघ्नों का नाश होता है.घर में प्रवेश करने से पहले जब हम विघ्वविनाशक गणेशजी के दर्शन करते हैं तो इसके प्रभाव से यह सभी नेगेटिव एनर्जी वहीं रुक जाती है व हमारे साथ घर में प्रवेश नहीं कर पाती.
नारायण की तरह महादेव, सूर्य, जगदंबा और गणपति के अनेक अवतार हैं. विशेष कारणों से हुए हैं हर अवतार और विशेष मनोरथ की पूर्ति के लिए पूजे जाते हैं. यदि लालसा है भगवान के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने की तो आपको तत्काल प्रभु शरणम् ऐप्प से जुड़ जाना चाहिए. फ्री ऐप्प है. पसंद न आए तो डिलिट कर दीजिएगा, कौन से पैसे खर्च हो रहे हैं आपके? धर्म के प्रचार के लिए सेवाभाव से बनाया गया है इसे. लिंक दे रहा हूं. इसे क्लिक करके या प्लेस्टोर से प्रभु शरणम् सर्च करके डाउनलोड कर लीजिए.
करीब दसलाख लोगों की नित्य पूजा में कई साल से सहयोगी बन रहा है प्रभु शरणम्. धर्मप्रचार के लिए बना सर्वश्रेष्ठ हिंदू ऐप्प प्रभु शरणम् फ्री है. शास्त्र आधारित जानकारियों के लिए आप इसे ट्राई करके देखिए तो सही.
Android मोबाइल ऐप्प डाउनलोड करने के लिए यहां पर क्लिक करें
[irp posts=”7376″ name=”मनोकामना पूर्ति के लिए शिव-पार्वती ने भी की है गणेश पूजा.”]
धार्मिक अभियान प्रभु शरणम् के बारे में दो शब्दः
सनातन धर्म के गूढ़ रहस्य, हिंदूग्रथों की महिमा कथाओं ,उन कथाओं के पीछे के ज्ञान-विज्ञान से हर हिंदू को परिचित कराने के लिए प्रभु शरणम् मिशन कृतसंकल्प है. देव डराते नहीं. धर्म डरने की चीज नहीं हृदय से ग्रहण करने के लिए है. तकनीक से सहारे सनातन धर्म के ज्ञान के देश-विदेश के हर कोने में प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से प्रभु शरणम् मिशन की शुरुआत की गई थी. इससे देश-दुनिया के कई लाख लोग जुड़े और लाभ उठा रहे हैं. आप स्वयं परखकर देखें. आइए साथ-साथ चलें; प्रभु शरणम्!