शनिवार को शनिदेव का पूजन करें। काले तिल मिलाए हुए सरसों के तेल से अभिषेक करें।

तत्पश्चात शनिदेव के 108 नामों का स्मरण करें या दशरथकृत शनि स्तोत्र (प्रभु शरणम् ऐप्प के शनिदेव मंत्र में देखें- हिंदी और संस्कृत दोनों में मंत्र उपलब्ध है) का 11 बार पाठ करें और फिर शनिदेव से अपने कष्ट दूर करने की प्रार्थना करें। शनिदेव के समक्ष दीपक संध्याकाल में रखें।

इससे बड़े से बड़े संकट भी टल जाते हैं और मनचाही इच्छा पूरी होने के योग बनने लगते हैं।

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राजा दशरथ ने इस शनि स्तोत्र से पूजन करके शनिदेव को प्रसन्न किया था और अपने राज्य पर आया संकट टाला था।

हनुमानजी को चोला चढ़ाने के उपाय से शनिदेव को होती है विशेष प्रसन्नता, जाने अगले पेज पर…

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