हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[fblike]

निमि ने कहा- गुरूवर प्रजा बहुत कष्ट में है. इस कष्ट का अंत राजसी यज्ञ से ही होगा. आप कुलगुरू हैं. अतः विद्वान महर्षियों के साथ यज्ञ संपन्न कराएं ताकि प्रजा का कल्याण हो.

मैंने यज्ञ सामग्री तैयार कर ली है. अब पांच वर्ष के लिए दीक्षित होकर विधिपूर्वक यज्ञ करके माता जगदंबा की कृपा प्राप्त करना चाहता हूं.

वशिष्ठ निमि के विचारों से प्रसन्न थे. वशिष्ठ ने कहा-आपके विचार कल्याणकारी हैं किंतु इसमें एक बाधा है. आपसे पहले इंद्र ने मुझे अपने यज्ञ का पुरोहित बना लिया है. आप यज्ञ सामग्रियों को सुरक्षित रखें. मैं इंद्र का यज्ञ पूर्ण करते ही आपका यज्ञ आरंभ करुंगा.

निमि ने कहा- गुरुवर मैंने अन्य महर्षियों को भी निमंत्रित किया है. फिर यज्ञ सामग्री को इतने समय तक सुरक्षित रखना कैसे संभव होगा? आप कुलगुरू हैं इसलिए आप मेरे यज्ञ के लिए चलने की कृपा करें. इंद्र दूसरा आचार्य चुन सकते हैं.

वशिष्ठ ने बात टाल दी और यह कहते हुए चले गए कि इंद्र का यज्ञ पूरा कराकर वह शीघ्र आएंगे और यज्ञ आरंभ करेंगे. इंद्र का यज्ञ लंबा खिंचने लगा. कई वर्ष बीत गए. निमि और प्रतीक्षा करने की स्थिति में नहीं थे. सो उन्होंने गौतम को आचार्य बनाया और यज्ञ आरंभ किया.

इंद्र का यज्ञ अनेक वर्षों के बाद संपन्न हुआ. वशिष्ठ को ध्यान आया कि उन्हें निमि का यज्ञ भी कराना है. वह तत्काल चले. वहां पहुंचे तो पता चला कि गौतम को आचार्य बनाकर यज्ञ शुरू हुआ. वशिष्ठ क्रोधित हो गए.

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

1 COMMENT

  1. Ram ram je I am proud I am Hindu. Sir I love my region and I receipt all regions. That why I am Hindu jai hind

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here